Sunday, 10 April 2016

आप अपने जीवन में किस प्रकार से जीविका चलायेगे

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आप अपने जीवन में किस प्रकार से जीविका चलायेगे

आप नौकरी करेगे यदि निम्न स्थिति आपकी कुन्डली में हो ?

१. यदि व्यय भाव स्वामी (१२) भाव स्वामी लग्न ,
द्वितीय पंचम नवम अथवा दशम भाव मे होतो जातक
नौकरी करता है।
आप निम्न सरकारी नौकरी में सफल हो सकते है :-
(र) यदि बुध बलवान होकर ६ थेभव से सम्बंधित
होतोजातक कंप्यूटर आपरेटर होता है।
(ल) यदि १० वे भाव का स्वामी मंगल हो तो जातक
सफल कुशल प्रशासक या सैनिक अधिकारी होता है ,
यही फळ तब भी होता हैतब मंगल १० वे हो।
(व) यदि २ रे भाव में शनि होतो जातक सैनिक
अधीकारी होता है।
(श) यदि गुरु चन्द्र बुध अथवा शुक्र
की युति होतो जातक अध्यापक बनता है।
(प  यदि बुधशनि की युति हो तो जातक शोध
कर्ता होता है।
आप अपने जीवन में किस प्रकार से जीविका चलायेगे ?
इसके कुछ योग निम्नानुसार है
३६. यदि चन्द्र और बुध की युति होतोजातक
कविपत्रकार लेखक बनता है।
३७. यदि सूर्यशुक्र की युति होतोजातक कवि,
नाटककार लेखकया साहित्यकार होता है।
३८. गुरू शनि की युति जातक को बुद्धीजीवी बनाती है ,
किन्तु आय अधिक नहीं होती है।
३९. यदि बुध सिंह राशी का हो और उस पर शुक्र
की दृष्टी हो जो जातक को सरकारी नौकरी मिलती है।
४०. यदि बुध द्वितीय भाव में शुक्र के साथ होतो,
तथा उन पर शुभ ग्रह की दृष्टी होतो जातक व्यापार
करता है।
४१. चन्द्र गुरू की युति हो तथा किसी शुभ ग्रह
की दृष्टी अथवा युति हो तो जातक अध्धयापन कार्य
करता है।
४२. यदि शुक्रमंगल की युति हो तथा वह सूर्य से दृष्ट
होतोजातक शल्य - चिकित्सक होता है।
४३. शनि बुध की युति जातक को सम्पादकमुद्रक,
या गणितज्ञ बनाती है।
४४. चन्द्रशुक्र की युति पर सूर्य की दृष्टी जातक
को वैद्य हकीम या डाक्टर बनाती है।
४५. चन्द्रराहू की युति जातक को कूटनीति के
द्वारा उच्च पद मिलता है।
आपसे निवेदन है कि अन्य
ग्रहों की युति से फल बदल जाता है यह बात ध्यान रखे .
आज हम आपके सामने ऐसे ग्रहों और योगों के बारे में बताएंगे
जो वकील बनने में सहायक सिद्ध होते हैं ।
वकालत से जुड़ा भाव मुख्यतः दूसरा (वाणी) सप्तम (कानून,
मुकदम्मा ) तथा नवम भाव तथा कर्म भाव होता है
गुरु,मंगल,शुक्र,बुधऔर शनि वकालत के मुख्य ग्रह हैं ।
नीचे महात्मा गांधी जी की कुंडली दी गयी है । सप्तमेश
बलि मंगल लगन में शुभ ग्रहों के साथ है ।पंच्मेश
शनि बुद्धि भाव में बैठा हुआ है तथा नवमेश बुध लगन मे
सप्तमेश मंगल के साथ बैठा हुआ है । यही कारण है
की गांधी जी ने कानून की पढ़ाई की और बैरिस्टर के रूप में
प्रैक्टिस भी की ।
अतः एक अच्छा वकील बनने के लिए वाणी,ज्ञान,तर्क करने
की क्षमता और विवेक का होना अति जरूरी है और ये सब
गुरु,बुध,मंगल,शनिऔर शुक्र की अच्छी स्थिति ही दे सकती है
। जितने प्रबल ये ग्रह होंगे और जितनी अधिक जातक मेहनत

आई . आई . टी . तथा अन्य उच्च स्तरीय संस्थाओं में प्रवेश तथा इंजीनीयर बनने के योग :-

७. यदी मीन लग्न की कुंडली में शुक्र लग्न में उच्च (मीन राशी १ २ ) का होचतुर्थ (४ ) भाव में राहू तथा दशम भाव (१ ० ) में केतू उच्च राशी का दुसरे भाव में उच्च का सूर्य (मेष राशी १ ) का मंगल +शनी ७ वे भाव में हो तथा गुरुचंद्रमा अच्छी स्थीती में होकर सूर्य को बल दे तो जातक आई .आई . टी . के पर्वेश में सफल होकर उच्च स्तरीय इंजीनीयर बनता है.

८. यदी गुरुबुध शुक्रमंगलशनी सूर्य केंद्र में हो तथा चंद्रमा उच्च का होतोजातक उच्च स्तरीय इंजीनीयर बनता है .

९. यदी चंद्रमा बुध तथा गुरु को कीसी भी भाव में बैठकर शुक्र अपनी पूर्ण द्रष्टी से देखे तो जातक उच्च स्तरीय इंजीनीयर बनता है .

१ ० . यदी बुधशुक्र मंगलशनी सूर्य केंद्र में हो तथा १ २ वे भाव में गुरु या चंद्रमा या केतू उच्च के होकर स्थीत हो तो जातक उच्च स्तरीय इंजीनीयर बनता है .

१ १ . यदी लग्नेश केंद्र में हो तथा शुभ ग्रह या मीत्र गृह से द्रष्ट हो तो जातक उच्च स्तरीय इंजीनीयर बनता है.
क्या वीदेश जाना है :- 

१ १ . कुम्भ लग्न :-(a ) यदी कुंडली में ८ वे ९ वे १ २ वे या लग्न भाव में बुध +शनी या शुक्र +शनी अथवा चंद्रमा +शनी की युती होतो जातक अनेकों बार वीदेश यात्रा करता है कीन्तू यह सब ५ ४ - ५ ६ साल की आयु के बाद होता है. 

(b ) शुक्र बुधशनी यदी इनकी युती या द्रष्टी सम्बन्ध होतोजातक कई बार वीदेश यात्रा करता है . 

(c ) यदी १ ० वे भाव में शुक्र हो तो जातक शौकीया तौर पर वीदेश यात्रा करता है .

(d ) बुध यदी स्वग्रही होतो वीदेश यात्रा करता है . 

(e ) मंगल १ २ वे भाव में तथा शुक्र ८ वे भाव में हो तो जातक वीदेश यात्रा करता है . 

१ २ . मीन लग्न में  a ) यदी मंगल १ २ वे भाव में या ८ वे भाव में शुक्र ९ वे १ ० वेअथवा १ २ वे भाव में या शनी ८ वे या ९ वे भाव में होतोजातक वीदेश यात्रा करता है . 

(b ) शुक्र+मंगलया शुक्र+शनी अथवा मंगल+शनी की युती केंद्र या त्रिकोण में होतोजातक वीदेश यात्रा करता है केवल तीनों की युती भी वीदेश यात्रा के अवसर दे देती है .

(c ) चन्द्रमा यदी ८ वे भाव में शुक्र लग्न में होतो जातक मौज - मस्ती के लीये वीदेश यात्रा करता है. 

(d ) गुरु १ २ वे ८ वे या ९ वे भाव में हो तथा शुक्रमंगल शनी लग्न भाव में होतोजातक वीदेश यात्रा करता है . 

(e ) शुक्र १ २ वे भाव मेंतथा गुरु का युती या द्रष्टी प्रभाव ८ वे ९ वे १ ० या १ २ वे भाव पर होतोजातक अनेक बार वीदेश यात्रा करता है .



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