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आपकी दो राशियों में कौन सी राशि ज्यादा प्रभावी है- (एक चंद्रमा के आधार पर और दूसरी सूर्य के आधार पर)
वर्तमान समय में ज्योतिष की अनेक विधाओं का प्रचलन है। यही कारण है कि अब हर व्यकक्ति की दो राशियां होती हैं। एक चंद्रमा के आधार अथवा मून साइन पर और दूसरी सूर्य के आधार पर अथवा सन साइन। इन दोनों विधाओं का मूलाधार एक है,किन्तु गणनाओं में भिन्नता पायी जाती हैं। प्रचीन काल में ज्योतिष की गणना नक्षत्रों के आधार पर की जाती थी। कुछ वर्षो के पश्चात राशियों की खोज की गयी। पूरा भूमण्डल 360 अंशो का होता है जिसे 12 भागों में विभाजित करने पर 12 राशियों का निर्माण हुआ। इन राशियों का मानव जीवन पर एक विशेष प्रभाव पड़ता रहता है, जिसके कारण मनुष्य को दुःख व सुख की अनुभूति होती है। भारत में मुख्यतः दो विधाओं का विशेष चलन है।
1- भारतीय ज्योतिष 2- पाश्चात्य ज्योतिष।
1.भारतीय ज्योतिष- इसमें सारी गणनायें चन्द्रमा के आधार पर की जाती है। चन्द्रमा एक राशि में सवा दो दिन तक भ्रमण करता है जिस कारण से इस पद्धति के द्वारा अति स्क्षूम फल का विवेचन किया जा सकता है। इसमें राशि आपके नाम के पहले अक्षर से पता की जाती है।
2.पाश्चात्य ज्योतिष- इसकी सारी गणनायें सूर्य की गति पर निर्भर होती है। सूर्य एक राशि में एक माह तक भ्रमण करता है। इस पद्धति से फल कथन स्थूल ही कहा जा सकता है। इसमें राशि आपकी जन्मि की तिथि से पता की जाती है। ऐसे में अधिकांश लोग यह सुनिश्चित करने में असमंजस की स्थिति में रहते हैं कि उनकी राशि क्या है? और वह किस राशि का अनुसरण करें।
भारत में दो प्रकार के नामों का महत्वक है-
पुकारने वाला नाम (प्रसिद्ध या प्रचलित नाम पुकारने वाला नाम वह है, जो समाज में व्यावाहारिक रूप से प्रचलित रहता है।)
और दूसरा, राशि नाम। राशि का नाम जन्म नक्षत्र के चरण अक्षर के अनुसार रखने का प्रावधान है अथवा जन्म पत्री में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होता है, उसे जन्म राशि माना जाता है।
विवाहे सर्वमागंल्ये यात्रादौ ग्रह गोचरे जन्मराशेः प्रधानतत्वं नामराशिं न चिन्तयेत।
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके नामराशेः प्रधानतत्वं जन्मराशि न चिन्तयेत।।
अर्थात समस्त शुभ कार्यो में, यात्रा में और ग्रह गोचर फल में विचार हेतु जन्मराशि अथवा कुण्डली के अनुसार जो राशि है,उसकी प्रधानता होती है। ऐसे में जन्म तिथि या राशि के नाम पर आधारित और जन्मर तिथि पर आधारित राशि को ही प्रभावी मानें।
देश, गांव, गृह का प्रवेश, युद्ध, सेवा, नौकरी, मुकदमा या व्यापार में पुकारने वाले प्रचलित नाम की राशि का प्रयोग करना चाहिए। अगर राशि नहीं पता तो? जिस मनुष्य की जन्म राशि ज्ञात न हो, उसे नामराशि का अनुसरण करना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि यदि किसी व्यक्ति के अनेक नाम हैं, तो वह किस नाम को ग्रहण करें? ऐसे में सोता हुआ मनुष्य जिस नाम जिस नाम से जाग जाये, उस नाम के प्रथम अक्षर वाली राशि को अपनी प्रभावी राशि मानें।
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