Thursday, 28 April 2016

love vashikaran specialist

Best Astrologer In India , Best Astrology Services , Free Astrology Consultancy , Vashikaran Specialist , Vashikaran Expert , Love Marriage Specialist | Acharya Harish Chandra Dwivedi | Call Now +91-8955457765, +91-9415431197


जहाँ बात समोहन की हो तो श्री कृष्ण जी का चित्रण अपने आप हो जाता है और सिर शरधा से अपने आप झुक जाता है और जीवन में प्रेम की लहर दौड़ जाती है शरीर में रोमाच पैदा होने लगता है !हवा से संगीत तरंगे प्रवाहित होने लगती है !सारा वातावर्ण एक महक से भर उठता है !बदलो की गडगडाहट से मेघ संगीत लहरी वजने लगती है !यह सभी समोहन तो है जो प्रकिरती हमेशा करती है !और आप स्मोहत होते चले जाते है !दृश्य आप को अपनी और आकर्षित करते है !प्रकिरती का यही गुण अपनाकर साधक शरेष्ट बन जाता है और प्रकिरती से एकाकार हो जाता है तो जीवन में सुगंध वियाप्त होती ही है !जब तक प्रकिरती तत्व आप में नहीं आता कैसे एक अप्सरा और य्क्ष्नी को बुला पयोगे संभव ही नहीं है !कैसे किनरी को अपने बस में कर पयोगे इस तत्व के बिना नहीं हो सकता क्यों के एक प्रकिरती ही है जो सभ को अपनी और आकर्षित करती है !जहाँ सन्यासी प्रकिरती को पूरी तरह अपना लेते है !तभी तो शरेष्ट बन पाते है और प्रकिरती उन्हें स्व पालने लगती है !अगर साधक बन कर इस तथ्य को अपनायो गे तो सहज ही समझ जायोगे की प्रकिरती क्या चाहती है आपसे आप त्राटक करते हो जा कोई साधना उस में प्रकिरती को ही निहारते हो उसी प्रकिरती में व्याप्त सुगंध आप की आँखों के रस्ते आप में भी व्याप्त हो जाती है !प्रकिरती को निहारना ही अभियाश है और अपना लेना समोहन और प्रेम का संगीत जा प्रकिरती संगीत सुनना किरिया है उसे समझ लेना समोहन है !अब सवाल यह है ऐसा क्या करे के प्रकिरती का संगीत समझ य़ा जाये और समोहन की किरिया अपने आप संपन हो जाये जैसे प्रकिरती में स्व ही होती है !उच्च कोटि के फकीरों और संतो में एक कहावत कही जाती है “कुदरत नार फकीरी की “अर्थात कुदरत जा प्रकिरती को अपना लेना ही जीवन की पूर्णता है !और जही श्री कृष्ण जी का दिव्य सन्देश है !क्यों के वोह वार वार कहते है अर्जुन तुम मुझे पहचानो मैं नदियों में गंगा नदी हू दरखतो में पीपल हू अदि अदि ऐसे बहुत उधारन दे कर अर्जुन को समझाया !क्यों के श्री कृष्ण पूरण समोहन का रूप थे और प्रकिरती को अपना चुके थे तभी जरे जरे में व्याप्त थे !इस लिए कृष्ण नाम से वडा कोई समोहन मंत्र नहीं है !जहाँ एक समोहन बाण साधना दे रहा हू जो गोपनीय तो है ही और अपने आप में पूरण समोहन लिए हुए है मेरी स्व की परखी हुयी है !
साधना विधि —
१ इसे अष्टमी जा श्री कृष्ण जम्नाष्ट्मीके दिन और बंसंत पंचमी से शुरू किया जा सकता है यह २१ दिन की साधना है !
२ इस में जाप वज्यंती माला से करे !
३ मन्त्र जाप २१ माला करना है !
४ जप के वक़्त सुध घी की ज्योत लगा दे !
५ गुरु पूजन गणेश पूजन और श्री कृष्ण पूजन अनिवार्य है !
६ भोग के लिए दूध का बना परशाद मिश्री में छोटी इलाची मिला के पास रख ले !
७ हो सके तो षोडश परकार से पूजन करे नहीं तो मिलत उपचार जैसा आपको आता है कर ले !
७ वस्त्र पीले और आसन पीला !
८ दिशा उतर रहेगी !
९ साधना के अंत में पलाश की लकड़ी ड़ाल कर उस में घी से दस्मांश हवन करना है !ऐसा करने से साधना सिद्ध हो जाती है और आपकी आँखों में समोहन छा जाता है ! 
इस का प्रयोग भलाई के कार्यो में लगाये यह अमोघ शक्ति है !
मन्त्र—-|| ॐ कलीम कृष्णाय समोहन बाण साध्य हुं फट ||

No comments:

Post a Comment