Friday, 8 April 2016

Durga Mata In Navratra

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ईश्वर के अस्तित्व को नकारा नही जा सकता है। मै भी आम लोंगो की तरह ही धर्म भीरु हूँ. हमारे संस्कार भी ऐसे पड़े है की हम चाहे जितनी बाते कर ले पर ईश्वर के अस्तित्व को नकारने की हिम्मत नही जुटा पाते है। हम रोज पूजा करते है शुभ कार्य हो अथवा उत्सव हो ईश्वर की पूजा अवश्य करते है। लेकिन पूजा करते समय मन अवश्य भटकता रहता है. शायद मै यह बात स्वीकार कर रहा हूँ और लोग शायद यह बात स्वीकार नही करेंगे.

भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है जिनमें माँ दुर्गा शक्तिकी उपासना प्रमुख हैं। माँ दुर्गा शक्ति की उपासना को उतना ही प्राचीन माना जाता है जितना शिववांङ्मय में सर्वप्राचीन साहित्य अपौरुषेय वेद को। यही कारण है कि देवी कहती हैं- 'मैं रुद्रों एवं वसुओं के रूप में विचरण करती हूं।
माँ दुर्गा शक्ति की उपासना से जीव का कल्याण होता है। माँ दुर्गा शक्ति सभी जीवों की रक्षा करने वाली है। सृष्‍टि का संहार और पालन करने की अपार शक्ति उनके पास है। माँ अपने भक्तों के लिए सदैव भक्तों ने हर प्रकार की पूजा और विधान से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के जतन किए। लेकिन अगर
आप व्यस्तताओं के चलते ‍विधिवत आराधना ना कर सकें तो मात्र 108 नाम के जाप करें
दुर्गा जी के 108 नाम
महारानी जग कल्याणी तेरी वाहन कमाल है शेर की सवारी माँ तुम्हारी बे मिसाल है
ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ॠषिःअनुष्टुप
छन्दःश्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वत्यो देवताः,
सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः ।

1-ॐज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥ १ ॥

2 - दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥ २ ॥

3 - सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते ॥ ३ ॥ 4 - शरणागतदीनार्तपरित्राणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ॥ ४ ॥

5 - सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते ॥ ५ ॥

6 - रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
 त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्र्यन्ति ॥ 
7- ॥सर्वबाधाप्रश्मनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ॥ ७ ॥

देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

1-सती 2-वैष्णवी 3-चामुंडा 4-साध्वी 5-वाराही 6-भवानी 7-भवप्रीता 8-लक्ष्मी 9-भवमोचनी 10-पुरूषाकृति 11-आर्या 12-विमला 13-दुर्गा 14-उत्कर्षिणी 15-जया 16-ज्ञाना 17-आद्या 18-शूलधारिणी 19-बुद्धिदा 20-पिनाकधारिणी 21-क्रिया 22-त्रिनेत्रा 23-नित्या 24-चंद्रघंटा 25-सर्ववाहनवाहना 26-बहुला 27-चित्रा 28-निशुम्भशुम्भहननी 29-मन: 30-महिषासुरमर्दिनि 31-शक्ति 32-बहुलप्रेमा 33-महातपा 34-मधुर्कटभहंत्री35-अहंकारा 36-चण्डमुण्डविनाशिनि 37-चित्तरूपा 38-सर्वअसुरविनाशिनि 39-चिता 40-सर्वदानघातिनी 41-चिति 42-सर्वशास्त्रमयी 43-सर्वमंत्रमयी44-सत्ता 45-सर्वअस्त्रधारिणी46-सत्यानंदस्वरुपिणी 47-अनेकशस्त्रहस्ता48-अनन्ता 49-अनेकास्त्रधारिणी 50-भाविनि 51-कुमारी52-भाव्या 53-एककन्या 54-भव्या 55-कैशोरी 56-अभव्या 57-युवति58-सदागति 59-यति: 60-शाँभवि 61-अप्रौढ़ा 62-देव माता 63-प्रौढा़ 64-चिंता 65-वृद्धमाता 66-रत्नप्रिया 67-बलप्रदा 68-सर्वविद्या 69-महोदरी70-दक्षकन्या 71-मुक्तकेशी 72-दक्षयज्ञविनाशिनी 73-घोररूपा74-अपर्णा75-महाबला76-अनेकवर्णा 77-अग्निज्वाला 78-पाटला 79-रुद्रमुखी80-पाटलावती81-कालरात्रि 82-पट्टाम्बरपरिधाना 83-तपस्विनी 84-कलमंजिररंजिनी 85-नारायणी86-अमेय विक्रमा 87-भद्रकाली88-क्रूरा 89-विष्णुमाया 90-सुंदरी 91-जलोदरी 92-सुरासुंदरी 93-शिवदूती 94-वनदुर्गा 95-कराली 96मांतंगी 97-अनंता 98-मतंगमुनिपूजिता 99-परमेश्वरी 100-ब्राह्मी 101-कात्यायनी 102-माहेश्वरी 103-सावित्री 104-ऎंद्री105-प्रत्यक्षा 106-कौमारी 107-ब्रह्मवादिनी 108-बुद्धिबुद्ध

इससे भी माता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है। भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयुयशबल और आरोग्य प्राप्त होता है। माँ जगत् की प्राणाधार हैं और अपने भक्तों की रक्षा के लिए आश्चर्यजनक प्रमाण प्रकट किया करती हैं।

भक्त इसलिए करते हैं ताकि उनका जीवन सफल हो सके माँ दुर्गा शक्ति अपने भक्तों की सभी प्रकार की बाधाओं एवं संकटों से उबारने वाली हैं और इनकी कृपा से समस्त पाप और इनकी मुद्रा सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने की होती हैंअत:भक्तों के कष्ट का निवारण ये शीघ्र कर देती हैं । 
माँ दुर्गा शक्ति के अवतार पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। देश के प्रत्येक क्षेत्र में माँ दुर्गा शक्ति की पूजा की अलग परम्परा है। सभी भक्त अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा और उपासना करते है। परंतु इस युग में भगवान शिव और माँ दुर्गा शक्ति के अवतार को सबसे ज़्यादा पूजा जाता है।

इस ब्लॉग के माध्यम से हिन्दू धर्म को सम्‍पूर्ण विश्‍व में जन-जन तक पहुचाना चाहता हूँ और इसमें आपका साथ मिल जाये तो और बहुत ख़ुशी होगी।

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