Best Astrologer In India , Best Astrology Services , Free Astrology Consultancy , Vashikaran Specialist , Vashikaran Expert , Love Marriage Specialist | Acharya Harish Chandra Dwivedi | Call Now +91-8955457765, +91-9415431197
परेशानियां दूर करने के लिए मंगलवार को करें हनुमानजी के ये उपाय
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल)
को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ।
बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस
धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया
जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
मंगलवार को हनुमानजी के लिए विशेष उपाय करेंगे तो कुंडली के ग्रह दोष दूर हो सकते हैं और धन कार्यों में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं और
गरीबी दूर हो सकती है। हनुमानजी शिवजी के ही अंशावतार हैं। इसी वजह से हनुमानजी की पूजा से शिवजी, महालक्ष्मी और सभी देवी-देवता
भी प्रसन्न होते हैं।
लाल मसूर की दाल का दान करे मंगल गृह के दोषो की शांति होती है मसूर की दाल शिवलिंग पर भी अर्पित कर सकते है
नित्य प्रातः स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करे और एक कम्बल का आसन ले और औटुम्बर वृक्ष के नीचे बैठ कर २१ पाठ हनुमानाष्टक का पाठ करे तथा हनुमान जी के निम्न मंत्र का जाप करे
ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा
इस मंत्र का १०८ बार जप करे तथा हनुमान जी को चोला और प्रसाद अर्पित करे ।
ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा
इस मंत्र का १०८ बार जप करे तथा हनुमान जी को चोला और प्रसाद अर्पित करे ।
यदि आप को रोग पीड़ा एवं भूत प्रेत पीड़ा की समस्या आ रही हो तो करे हनुमान जी का ये प्रयोग ।
रात्रि के समय स्नान करके शुद्ध हो और हनुमान जी के मंदिर जाये और एक दीपक साथ ले जाये वह चौमुखा दीपक जला कर ११ बार हनुमान
चालीसा का पाठ करे ।
एवं वहा से चुपचाप घर जाये और यदि कोई किसी भी कार्य को आवाज़ दे तो उससे बात न करे
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें।
ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो
तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
No comments:
Post a Comment